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अब्दुल बासिद खान / ब्यूरो मुख्यालय : बरेली. उत्तर प्रदेश के बरेली से एक हैरान करने वाली खोज सामने आई है. रुहेलखंड नगर खंड विभाग की खुदाई के दौरान अंग्रेजों के जमाने का करीब 100 साल पुराना भाप से चलने वाला ट्रैक्टर मिला है. यह ट्रैक्टर घास-फूस और झाडिय़ों के नीचे दबा हुआ था. आपको बता दें कि अंग्रेजी हुकूमत के समय इसका इस्तेमाल खेतों की जुताई, नहर बनाने और भारी सामान ढोने के काम में किया जाता था. जानकारी के अनुसार, अंग्रेज उस दौर में ऐसे सिर्फ 8 ट्रैक्टर भारत लाए थे और यह उन्हीं में से एक है.
नगर खंड-3 के सहायक अभियंता अजीत कुमार ने सबसे पहले इस लोहे की आकृति को देखा. पहले लगा कि यह कोई कबाड़ है, लेकिन पास जाकर पता चला कि यह भाप से चलने वाला असली ट्रैक्टर है. इसकी जानकारी तत्कालीन अधिशासी अभियंता नवीन कुमार को दी गई. हालांकि, विभागीय तबादले के चलते मामला आगे नहीं बढ़ पाया.
बाद में जब नए अधिशासी अभियंता सर्वेश चंद्र सिंह ने पदभार संभाला तो उन्होंने खुदाई की अनुमति दी. क्रेन की मदद से मिट्टी और झाडिय़ों को हटाकर इस दुर्लभ ट्रैक्टर को बाहर निकाला गया. अधीक्षण अभियंता त्रयंबक त्रिपाठी और अधिशासी अभियंता सर्वेश चंद्र सिंह ने पुष्टि की कि यह अंग्रेजों का भाप से चलने वाला ट्रैक्टर है.
अधिकारियों का कहना है कि उस दौर में यह ट्रैक्टर गेहूं की गहरी जुताई, अनाज की थ्रेशिंग और नहर-सड़क निर्माण में अहम भूमिका निभाता था. फिलहाल योजना है कि इस ऐतिहासिक धरोहर की साफ-सफाई और रंग-रोगन किया जाएगा. इसके बाद इसे कैंट स्थित नहर विभाग के निरीक्षण भवन में प्रदर्शनी के तौर पर रखा जाएगा, ताकि लोग भी इस दुर्लभ खोज को देख सकें.



