विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सबसे बड़ी जरूरत, रोड कनेक्टिविटी :केशव प्रसाद मौर्य - statementtodaynews.com

विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सबसे बड़ी जरूरत, रोड कनेक्टिविटी :केशव प्रसाद मौर्य

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अब्दुल बासिद खान / ब्यूरो मुख्यालय :  लखनऊ: 29 अगस्त, 2025 उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि ग्रामीण सड़कों का उन्नयन राष्ट्र निर्माण की आधारशिला हैं। पीएमजीएसवाई में उत्तर प्रदेश की अग्रणी भूमिका रही है। ग्रामीण मार्गों के निर्माण में एफडीआर तकनीक वरदान साबित हो रही  हैं। पीएमजीएसवाई की सड़कों में एफडीआर तकनीक अपनाने वाला उत्तर प्रदेश अग्रणी राज्य है। विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सबसे बड़ी जरूरत रोड कनेक्टिविटी है। एफडीआर तकनीक से बनी सड़कें ग्रामीणों का हाईवे सिद्ध हो रही हैं। समग्र विकास के लिए रोड कनेक्टिविटी सर्वाेच्च आवश्यकता है। गांव के विकास में पीएमजीएसवाई की सड़कों का व्यापक प्रभाव रहा है। एफडीआर तकनीक में कम लागत में उच्च गुणवत्ता की ज्यादा टिकाऊ  सड़के बन रही हैं। गांवो में रोडनेट वर्क बढ़ने से किसानों  को बहुत फायदा हुआ है, ग्रामीण उद्यम भी बढ़े  हैं।

ग्रामीण सड़कों के नेटवर्क से समावेशी विकास संभव हुआ है। पर्यावरण संतुलन के साथ, हमें हर घर नल की तरह हर घर सड़क से जोड़ना है। केशव प्रसाद मौर्य शुक्रवार को आईआरसी व यूपीआरआर डीए (ग्राम्य विकास विभाग) के संयुक्त तत्वावधान में, इन्दिरागांधी प्रतिष्ठान लखनऊ मे सड़क निर्माण में एफडीआर तकनीक व ग्रीन टेक्नोलॉजी का उपयोग विषय पर आयोजित दो दिवसीय सेमिनार को बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित कर रहे थे। इससे पूर्व उन्होंने दीप प्रज्जवलित कर सेमिनार का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर उन्होने आईआरसी का नाम भारतीय सड़क संघ करने का सुझाव दिया।उपमुख्यमंत्री ने ग्राम्य विकास विभाग व यूपीआरआरडीए की पुस्तिका का विमोचन  भी किया।उप मुख्यमंत्री ने  यहां पर प्रदेश व देश के विभिन्न स्टेकहोल्डर्स,सामग्री निर्माणकर्ताओ, कम्पनियो,  सप्लायरो, व विभागो द्वारा रोड कांन्स्ट्रकशन पर आधारित लगायी गयी प्रदर्शनी का  अवलोकन किया व सराहना की।

उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि भारत रत्न स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई ने सन् 2000 में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की शुरुआत की थी, इस योजना में नए आयाम स्थापित किए गये हैं। गांवो की रोड कनेक्टिविटी बहुत तेजी के साथ बढ़ी है।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि देश व प्रदेश में रोड नेटवर्क, रेल मार्ग, हवाई यातायात व जल मार्ग के क्षेत्र में डबल इंजन सरकार में अभूतपूर्व कार्य हुआ है। एफडीआर तकनीक के यूपी मॉडल को अन्य राज्यों ने भी अपनाया है।
एफडीआर तकनीक से बनी सड़क अधिक टिकाऊ होती हैं और उनकी औसत आयु लगभग 15 वर्ष अनुमानित है। एफडीआर तकनीक से कार्बन उत्सर्जन कम हो रहा है और यह सतत विकास के लिए एक बड़ी उपलब्धि है उत्तर प्रदेश सड़क निर्माण की नई तकनीक व पर्यावरण के दृष्टिकोण से देश के लिए एक आदर्श साबित हो रहा है। सड़कों के साथ-साथ हम रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य की पहुंच आसान कर रहे हैं।ग्रामीण सड़कों के निर्माण से आर्थिक, सामाजिक और औद्योगिक विकास को गति मिल रही है, इससे लोगों तक आवश्यक सेवाएं, बाजार और रोजगार के अवसर आसानी से पहुंच रहे हैं। कहा कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है और गांवों की आत्मा मजबूत सड़कों से खिलती है। सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के साथ आत्मनिर्भर गांवों की ओर  कदम बढ़ रहे हैं।

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना और ग्रीन टेक्नोलॉजी उत्तर प्रदेश को तरक्की की राह पर अग्रसर कर रही है। आने वाले वर्षों में गांव और शहर के बीच कोई दूरी न रहे, यही हमारा संकल्प है। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश ने हमेशा पीएमजीएसवाई के क्रियान्वयन में नेतृत्वकारी भूमिका निभाई है। फेज-03 में पूरे देश में पहली बार Full Depth Reclamation (FDR) तकनीक को बड़े पैमाने पर अपनाया गया। उत्तर प्रदेश मे लगभग 6000 किमी मार्ग इस तकनीक से बनाये जा रहे है, जिसमे  से 5200 किमी में काम पूरा हो गया है। एफडीआर तकनीक मे लगभग 20 प्रतिशत तक लागत में भारी कमी आयी है। प्रति किमी लगभग 13.75 लाख रु. की बचत हो रही है। 3760 रु./घनमीटर की जगह अब 2784 रु./घनमीटर पर दरें स्वीकृत हुयी है। प्रति किमी लगभग 100 ट्रक गिट्टी और 12000 लीटर डीजल की बचत होती है। पर्यावरण की दृष्टि से लाभकारी, कार्बन उत्सर्जन में भारी कमी हुयी है। एफडीआर तकनीक व ग्रीन टेक्नोलॉजी की चर्चा करते हुये कहा कि प्रदेश मे अब तक 90 लाख घनमीटर गिट्टी और 700 लाख लीटर डीजल की बचत हुयी है। Waste Plastic, Cold Mix, MSS+ CGBM जैसी तकनीकें भी अपनाई जा रही हैं। पीरियाडिकल रिनूवल मे 1200 मीट्रिक टन वेस्ट प्लास्टिक की खपत का का अनुमान है। अब तक 700 मीट्रिक टन से अधिक वेस्ट प्लास्टिक का उपयोग हो चुका है।बताया कि 17 राज्यों के प्रतिनिधि व इन्जीनियर और विशेषज्ञ इस तकनीक का अध्ययन करने यूपी आए। कई राज्य अब उत्तर प्रदेश का अनुसरण कर रहे हैं। लोक निर्माण विभाग ने भी ग्रामीण अभियंत्रण विभाग की सफलता देखकर इसे अपनाया है। सभी ग्रामीण सड़कें 100 प्रतिशत FDR तकनीक से बनाने की दिशा में कार्य करने के निर्देश दिये गये हैं।

उप मुख्यमंत्री ने कहा कि सड़को के पीरियाडिकल रिनूवल कार्यों में एफडीआर के अलावा वेस्ट प्लास्टिक का भी उपयोग किया जा रहा है और कम लागत में अच्छी व टिकाऊ सड़के बन रही हैं। उन्होंने इस सेमिनार में देश के विभिन्न राज्यों से आए इंजीनियरो, अधिकारियो, स्टेक होल्डर्स, सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय भारत सरकार, मोर्थ के अधिकारियो व विभिन्न सप्लायर्स, कम्पनियो के प्रतिनिधियों का आह्वान किया कि वह इस लक्ष्य को लेकर आगे बढ़े, कि हमें भारत में ही निर्मित सामान का अधिकतम उपयोग करना है और वह इसमे अपना योगदान दें। उन्होंने कहा भारत हर क्षेत्र में तेजी के साथ आगे बढ़ रहा है। सभी लोग मिलकर  सच्चे मन से ठान लें,तो विकसित भारत का सपना 2037 में ही पूरा हो सकता है। उन्होंने कहा कि कम लागत में अच्छी टिकाऊ व पर्यावरण के अनुकूल सड़कें बने, इस संबंध में सेमिनार मे गहन विचार विमर्श करें। सड़कों को विकसित भारत के संकल्प का आधार बनायें। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सड़कों के निर्माण के क्षेत्र में यह सेमिनार निश्चित रूप से उपयोगी व निर्णायक सिद्ध होगी।

सेमिनार को आईआरसी के अध्यक्ष मनोरंजन परीडा, महासचिव आईआरसी राहुल गुप्ता,  डी जी , एन आर आई डी ए ग्रामीण विकास मंत्रालय अमित शुक्ला आयुक्त ग्राम्य विकास विभाग गौरी शंकर प्रियदर्शी, यूपीआरआरडीए के मुख्य कार्यपालक अधिकारी  अखंड प्रताप सिंह सहित सड़क निर्माण से सम्बन्धित विभिन्न  विशेषज्ञो आदि ने सम्बोधित किया। आयुक्त ग्राम्य विकास विभाग श्री जी एस प्रियदर्शी ने सभी का स्वागत करते हुये यूपी मे पीएमजीएसवाई की ऐतिहासिक प्रगति पर अपने विचार सझा किये। यू पीआर आर डी ए के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अखंड प्रताप सिंह ने सभी अतिथियों व अभ्यागतो के प्रति आभार जताते हुये उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण सड़क विकास अभिकरण के क्रियाकलापो, उपलब्धियों व नवाचारो पर विस्तार से प्रकाश डाला।

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