SIRD मे विभिन्न विषयो पर विशेषज्ञो द्वारा दिया जा रहै है प्रशिक्षण-केशव प्रसाद मौर्य - statementtodaynews.com

SIRD मे विभिन्न विषयो पर विशेषज्ञो द्वारा दिया जा रहै है प्रशिक्षण-केशव प्रसाद मौर्य

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अब्दुल बासिद खान / ब्यूरो मुख्यालय : लखनऊ,उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के नेतृत्व व निर्देशन में दीन दयाल उपाध्याय ग्राम्य विकास संस्थान बख्शी का तालाब, लखनऊ में विभिन्न सरकारी, अर्धसरकारी विभाग /संस्थाओ के अधिकारियों व कर्मचारियों व विभाग व रचनात्मक कार्यों से जुड़े लोगों को प्रशिक्षण देकर उन्हें और अधिक दक्ष व सक्षम बनाने का कार्य किया जा रहा है। इसी कड़ी में दीन दयाल उपाध्याय राज्य ग्राम्य विकास संस्थान,, बख्शी का तालाब, लखनऊ द्वारा महानिदेशक संस्थान एल० वेंकटेश्वर लू के संरक्षण व अपर निदेशक सुबोध दीक्षित के मार्ग निर्देशन में संस्थान प्रांगण में, क्रमशः 8 से 12 सितंबर की अवधि में, केन्द्रीय सचिवालय प्रशिक्षण प्रबंध संस्थान नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित , सहायक अनुभाग अधिकारियों हेतु, जो भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में नवनियुक्त हैं, का , विलेज अटैचमेंट एवं प्रदेश के जनपद, विकास खण्ड एवं ग्राम पंचायत स्तरीय सम्बन्धित अधिकारियों/ कार्मिकों की कार्यशैली के अध्ययन विषयक प्रशिक्षण कार्यक्रम में कुल 79 अधिकारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया। 8 से 12 सितंबर की अवधि में, जनपद स्तरीय सम्बन्धित अधिकारियों हेतु,अग्नि आपदा प्रबंधन  विषयक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन तथा दिनांक 11 से13 सितंबर, की अवधि में ,  उ०प्र० राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन कार्यक्रम के अन्तर्गत लोक-ओ०एस० पर आन लाइन ट्रांजैक्शन, विषयक तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन 100 प्रतिभागियों हेतु किया जा रहा है।

इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों के आयोजन के दौरान कल  11 सितंबर को महानिदेशक संस्थान एल० वेंकटेश्वर लू की अध्यक्षता व विशिष्ट अतिथि यथा – डा० किशन वीर सिंह शाक्य, प्रख्यात शिक्षाविद् एवं पूर्व वरिष्ठ सदस्य लोक सेवा आयोग उ०प्र० तथा इस्कॉन संगठन के आध्यात्मिक गुरु, दिव्य मिताई दास की गरिमामई उपस्थिति में, प्रशिक्षण कार्यक्रमों के विषय-विशेषज्ञों द्वारा अपने-अपने विषयानुक्रम बिन्दुओं से सम्बन्धित सिस्टेमेटिक, सार्थक, प्रासंगिक एवं जनहित में उपयोगी व्याख्यान दिए गए।

कार्यक्रम के दौरान इस्कॉन संगठन के आध्यात्मिक गुरु, दिव्य मिताई दास द्वारा प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए बताया गया कि कर्मयोगी बनने के लिए भगवान कृष्ण और महाबली अर्जुन के संवाद के व्यवहारिक पक्ष को समाविष्ट करते हुए प्रत्येक को गीता दर्शन को आत्मसात करना चाहिए। इसीलिए विश्व की अनेकों भाषाओं में इसका अनुवाद किया गया है और इसके दर्शन को विश्व के महान से महानतम विभूतियों ने समय-समय पर गीता दर्शन को आत्मसात किया है।

डॉ किशन वीर सिंह शाक्य द्वारा प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए बताया कि प्रत्येक व्यक्ति की रचनात्मक क्रियाशीलता ही उसको विकास के शिखर पर पहुंचाती है। शिक्षा का जीवन में बहुत महत्व है क्योंकि सूचनाएं और परस्पर व्यवहारिक अनुभव ही शैक्षिक ज्ञान में परिवर्तित हो जाते हैं। प्रकृति ने सबको एक दूसरे से जोड़ रखा है क्योंकि एक दूसरे के अभाव में किसी का भी अस्तित्व नहीं है, यह मनुष्यों के साथ-साथ पशु-पक्षियों पर भी लागू होता है।

प्रशिक्षण उद्बोधन के अन्तर्गत महानिदेशक संस्थान द्वारा प्रतिभागियों को बताया गया है कि प्रत्येक प्रशिक्षण कार्यक्रम का औचित्य तभी है, जब प्रशिक्षण कार्यक्रम की विषय वस्तु सम्बन्धित प्रशिक्षण प्रतिभागियों के लिए उपयोगी हो तथा आवश्यकता हो। प्रशिक्षण प्राप्त करने के साथ मानव जीवन को सुखमय और सार्थक बनाने के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण से धर्म , देशभक्ति तथा सत्य को आत्मसात करना चाहिए। किसी भी प्रकार के व्यसन व नशे से दूर रहना चाहिए। अनुशासित जीवन जीते हुए राष्ट्रभक्ति को अपनाना हीं ईश्वर भक्ति है। इसलिए जो जहां पर है , जिस पद पर है , शासकीय सेवा में प्रदत्त कार्यों को निष्ठा, लगन व ईमानदारी से निष्पादित करे। इससे बड़ी देश सेवा हो ही नहीं सकती है। अच्छे और बुरे कार्यों का परिणाम सभी को प्राप्त होता है, निर्भर इस पर करता है कि कार्य की प्रकृति और गुणवत्ता कैसी है, तदनुरूप देर-सवेर परिणाम अवश्य मिलता है।

कार्यक्रम का मंच संचालन डा० नवीन कुमार सिन्हा द्वारा किया गया तथा डॉ राजकिशोर यादव, सहायक निदेशक द्वारा सभी प्रतिभागियों, विषय-विशेषज्ञों , विशिष्ट अतिथि वार्ताकारों तथा महानिदेशक संस्थान को धन्यवाद ज्ञापित किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम के आयोजन एवं प्रबंधन के दृष्टिगत संस्थान के डा० सत्येन्द्र कुमार गुप्ता, सहायक निदेशक, डा० वरुण चतुर्वेदी, सहायक निदेशक, संजय कुमार, सहायक निदेशक, आपदा प्रबंधन सलाहकार कुमार दीपक, संकाय सदस्य धर्मेन्द्र कुमार, कम्प्यूटर प्रोग्रामर उपेन्द्र कुमार दूबे, मोहम्मद शहंशाह तथा मोहम्मद शाहरूख का उल्लेखनीय एवं सराहनीय योगदान रहा है।

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