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जकारिया अयाज़ / सह -सम्पादक : उरई, जालौनजालौन जिले में एक सनसनीखेज हत्याकांड ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में हलचल मचा दी है। कोंच कोतवाली क्षेत्र के घमूरी गांव निवासी 46 वर्षीय स्कूल कर्मचारी जितेंद्र अहिरवार की बेरहमी से हत्या के आरोप में पुलिस ने गुरुवार को पूर्व बसपा विधायक अजय कुमार उर्फ पंकज अहिरवार और उनके बेटे अमन सिंह उर्फ मिक्की को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
यह घटना 9 अगस्त की रात की है, जब आरोपियों ने पीड़ित को घर से बुलाकर एक बंद पड़े पेट्रोल पंप पर डंडों और मुक्कों से पीट-पीटकर गंभीर रूप से घायल कर दिया। बाद में उसे कोंच सीएचसी इमरजेंसी गेट पर मृत अवस्था में फेंक कर फरार हो गए।
पुलिस जांच के अनुसार, मृतक जितेंद्र — विद्या देवी उच्चतर बालिका विद्यालय, घमूरी — का प्रबंधन देखता था, जो पूर्व विधायक के परिवार का ही है। जितेंद्र, पूर्व कांग्रेस विधायक और अजय के पिता राम प्रसाद अहिरवार के करीब हो गया था। आरोप है कि उसने परिवार से जुड़ी कुछ ‘गोपनीय’ बातें राम प्रसाद को बताई थीं और स्कूल की चाबियां भी उनके पास थीं, जिससे परिवार में तनाव बढ़ गया। जब जितेंद्र ने चाबियां लौटाने और चुप रहने से इनकार किया, तो बाप-बेटे ने उसकी हत्या की साजिश रच दी।
9 अगस्त की रात आरोपी, पीड़ित को कार में डालकर अपने बंद पेट्रोल पंप पर ले गए, जहां डंडों और भारी वस्तु से सिर पर वार किया गया। अचेत होने के बाद उसे अस्पताल ले जाकर उसके मोबाइल से ही बेटे को फोन कर कहा गया कि एक्सीडेंट हुआ है। जब तक परिवार पहुंचा, आरोपी फरार हो चुके थे।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में सिर, छाती और आंखों पर गंभीर चोटें और भारी हथियार से वार की पुष्टि हुई। पुलिस ने आरोपियों की निशानदेही पर वारदात में इस्तेमाल कार (UP-92-AH-6352), बाइक, खून से सनी शर्ट, मृतक की बाइक, कपड़े और आयुष्मान कार्ड बरामद किया। सभी सबूत फॉरेंसिक जांच के लिए भेजे गए हैं।
जितेंद्र के बेटे नितिन कुमार की तहरीर पर छह लोगों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ, जिनमें पूर्व विधायक का दूसरा बेटा और अन्य परिवारजन भी शामिल हैं। अब तक सिर्फ अजय और अमन की गिरफ्तारी हुई है, बाकी आरोपी फरार हैं। इस पर पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं।
अजय अहिरवार 2007-2012 में बसपा विधायक रहे, जबकि उनके पिता राम प्रसाद अहिरवार 1981 में कांग्रेस विधायक थे। अजय 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार रहे, लेकिन भाजपा के भानु प्रताप वर्मा से हार गए थे। यह मामला न सिर्फ राजनीतिक और पारिवारिक सत्ता संघर्ष, बल्कि पुलिस जांच की निष्पक्षता पर भी गंभीर सवाल खड़ा कर रहा है।



